टाटा के हाथ में एयर इंडिया बेहतर हुई होगी आज यह भ्रम टूट गया : शिवराज सिंह

नयी दिल्ली / भोपाल 22 फरवरी (वार्ता) केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान को शनिवार को भोपाल से नयी दिल्ली के लिए एयर इंडिया की एक उड़ान में अपनी आवंटित सीट टूटी और धंसी मिली और इसको लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि आज उनका यह भ्रम टूट गया कि टाटा समूह के हाथ में जाने के बाद इस एयरलाइन की सेवा बेहतर हुई होगी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और अब केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के मंत्री श्री चौहान ने डिजिटल मीडिया मंच एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में लिखा कि उन्हें आज भोपाल से दिल्ली आना था और पूसा में किसान मेले का उद्घाटन, कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती मिशन की बैठक और चंडीगढ़ में किसान संगठन के माननीय प्रतिनिधियों के साथ बैठक में भाग लेना था। उन्होंने एयर इंडिया की उड़ान संख्या एआई-346 का टिक लिया था। उन्होंने टूटी सीट को लेकर जब विमानकर्मियों से बात की तो उन्हें बताया गया कि इसकी सूचना एयरलाइन के प्रबंधन को पहले ही दी जा चुकी थी और कहा गया था कि उक्त सीट का टिकट न बेचा जाए लेकिन सभी सीटों के टिकट बेच दिए गए थे।
उन्होंने सवाल किया कि क्या यह यत्रियों के साथ धोखा नहीं है? श्री चौहान ने लिखा, मैंने एयर इंडिया की फ्लाइट क्रमांक एआई 436 में टिकिट करवाया था, मुझे सीट क्रमांक 8 सी आवंटित हुई। मैं जाकर सीट पर बैठा, सीट टूटी और अंदर धंसी हुई थी। बैठना तकलीफदायक था। उन्होंने लिखा, जब मैंने विमानकर्मियों से पूछा कि खराब सीट थी तो आवंटित क्यों की? उन्होंने बताया कि प्रबंधन को पहले सूचित कर दिया था कि ये सीट ठीक नहीं है, इसका टिकट नहीं बेचना चाहिए। ऐसी एक नहीं और भी सीटें हैं। उन्होंने कहा कि विमान में अन्य यात्रियों ने उनके लिए अपनी सीट छोड़ने का प्रस्ताव किया पर उन्होंने विनम्रता पूर्वक कहा कि वह किसी अन्य को तकलीफ देने के बजाय टूटी सीट पर यात्रा करना श्रेयस्कर समझेंगे.
शुरुआत आजादी से पहले टाटा समूह ने ही की थी
केंद्रीय मंत्री ने लिखा, मेरी धारणा थी कि टाटा प्रबंधन के हाथ में लेने के बाद एयर इंडिया की सेवा बेहतर हुई होगी, लेकिन ये मेरा भ्रम निकला। उन्होंने कहा, मुझे बैठने में कष्ट की चिंता नहीं है, लेकिन यात्रियों से पूरा पैसा वसूलने के बाद उन्हें खराब और कष्टदायक सीट पर बैठाना अनैतिक है। क्या ये यात्रियों के साथ धोखा नहीं है? उन्होंने सवाल किया है कि क्या आगे किसी यात्री को ऐसा कष्ट न हो, इसके लिए एयर इंडिया प्रबंधन कदम उठाएगा या यात्रियों की जल्दी पहुंचने की मजबूरी का फायदा उठाता रहेगा? एयर इंडिया की शुरुआत आजादी से पहले टाटा समूह ने ही की थी। बाद में इसको सरकार ने अपने हाथ में ले लिया था। लम्बे समय तक वित्तीय बदहाली और बदइंतजामी में पिसती रही इस एयरलाइन को सरकार ने इसे टाटा समूह को बेच दिया। जनवरी 2022 से इसका संचालन-परिचालन टाटा समूह के हाथ में है.