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भारत ने मुफ्त इलाज पर 1.29 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, 9 करोड़ से अधिक लोगों को बिना किसी खर्च के सुरक्षा प्रदान की

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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) ने देश के करोड़ों लोगों का जीवन बदल दिया है। सितंबर 2018 में शुरू हुई इस योजना के तहत लाभार्थियों को अब तक 1.29 लाख करोड़ रुपये से अधिक की मुफ्त अस्पताल सेवाओं का लाभ मिल चुका है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक इस योजना के तहत 9 करोड़ से अधिक लोगों का इलाज किया जा चुका है। पीएम-जेएवाई के तहत हर परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज मिलता है। प्रारंभ में यह योजना देश के 10.7 करोड़ गरीब परिवारों के लिए लाई गई थी, जिसमें देश की लगभग 40% आबादी शामिल थी। तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, आंध्र प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों के लोग सबसे बड़े लाभार्थियों में शामिल हैं। सितंबर 2024 में सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया। अब 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को उनकी आय की स्थिति पर ध्यान दिए बिना हर वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलेगा। इस कदम से लगभग 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा। पीएम-जेएवाई के तहत लगभग 2,000 प्रकार के उपचार कैशलेस सुविधा के साथ उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसमें उपचार, दवाइयां, जांच, डॉक्टरों की फीस, ऑपरेशन थियेटर और आईसीयू शुल्क जैसी सभी सेवाएं शामिल हैं। अधिकांश लाभार्थियों ने इस योजना का उपयोग सामान्य चिकित्सा, संक्रामक रोग, सामान्य सर्जरी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, नेत्र विज्ञान और आर्थोपेडिक उपचार के लिए किया है। हेमोडायलिसिस, कोविड-19 जांच और बुखार जैसे सामान्य उपचार भी बड़ी संख्या में हुए हैं। अब तक 40 करोड़ से ज्यादा लोगों को ‘आयुष्मान कार्ड’ जारी किए जा चुके हैं और देश भर में 31,907 से ज्यादा सरकारी और निजी अस्पताल इस योजना से जुड़े हैं। हालाँकि, अभी भी देश में एक बड़ी आबादी ऐसी है, जो किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य बीमा के दायरे में नहीं आती है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 30% आबादी – यानि लगभग 40 करोड़ लोग – ‘लापता मध्यम’ श्रेणी में आते हैं। इसे देखते हुए संसद की वित्त संबंधी स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि पीएम-जेएवाई योजना को इन लोगों के लिए भी कुछ भुगतान के साथ खोल दिया जाना चाहिए, ताकि अधिक लोग गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च उठाने से बच सकें।

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