मध्य प्रदेश

Singrauli News: सांसद एवं द्वय विधायक से समर्थित एक भी नही बने भाजपा के जिला पदाधिकारी!

प्रदेश उपाध्यक्ष, जिलाध्यक्ष, मंत्री एवं देवसर विधायक का भाजपा जिला कार्यकारिणी में दिखा दबदबा

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सिंगरौली। भाजपा की घोषित जिला कार्यकारिणी में किस नेता से समर्थित पदाधिकारियों को जगह मिली है। इस बात की चर्चाएं भाजपा में भी खूब चल रही हैं। कहा जा रहा है कि सांसद, सिंगरौली एवं सिहावल विधायक के समर्थित व पसंद के पदाधिकारी नही बन पाये हैं। जबकि प्रदेश उपाध्यक्ष, राज्य मंत्री, जिलाध्यक्ष व देवसर विधायक की खूब चली है और कार्यकारिणी इन्ही नेताओं का भी दबदबा बताया जा रहा है।

दरअसल पिछले सप्ताह भाजपा जिला कार्यकारिणी सूची का ऐलान हुआ, जहां अब इस बात की पार्टी में छानबीन की जाने लगी है कि जिले के किन प्रभावशाली नेताओं की ज्यादा चली है। भाजपा कार्यकर्ताओं की बात माने तो सुरेन्द्र बैस, विजया सिंह पटेल, लालपति साकेत, योगेन्द्र द्विवेदी, हर्ष सिंह, रेखा यादव, एवं संदीप झा, प्रदेश उपाध्यक्ष कांतेदव सिंह एवं राज्य मंत्री राधा सिंह के करीबी हैं। वहीं पूनम गुप्ता, कृष्ण कुमार कुशवाहा, विनोद चौबे, विक्रम सिंह चंदेल, अंजनी जायसवाल, विजय बैस, आलोक यादव, भाजपा जिलाध्यक्ष के बेहद करीबी माने जाते हैं। जबकि सुमन सिंह, प्रदीप शाह, देवसर विधायक राजेन्द्र मेश्राम के पाले के बताये जा रहे हैं। वहीं प्रीति पनाड़िया एवं द्रोपदी सिंह, धौहनी विधायक कुंवर सिंह टेकाम के समर्थित माने जा रहे हैं। वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच चर्चाएं हैं कि सांसद डॉ. राजेश मिश्रा एवं सिंगरौली विधायक रामनिवास शाह तथा सिहावल विधायक, विश्वामित्र पाठक से विशेष ताल्लुकात रखने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं को जिला कार्यकारिणी में जगह नही मिली है। जिसको लेकर इन दिनों भाजपा सिंगरौली में ही चर्चाओं का बाजार गर्म है और धीरे-धीरे कार्यकर्ता भी जिला कार्यकारिणी सूची पर ही सवाल उठाने लगे हैं।

कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना

भाजपा की जिला कार्यकारिणी घोषित होने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं में ही तरह-तरह के चर्चाएं की जाने लगी हैं। दबी जुबान में भाजपा के कार्यकर्ता बता रहे हैं कि आगामी नगर निगम, विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत कार्यकारिणी बनाई गई है। ताकि उक्त पदों के लिए दावेदारी करने वाले नेता पदाधिकारियों को लेकर भोपाल- दिल्ली तक दौड़ लगा सके। वहीं नेताओं ने एक तीर से कई निशाना साधा है। एक ओर जहां सांसद एवं विधायक को राजनैतिक हिसाब से कमजोर करने के लिए यह राजनैतिक विसात बिछाई गई है। वहीं दूसरी ओर अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए अपने चहेतो को जो अधिकांश लगातार परिक्रमा लगाते रहते हैं, उन्हें कार्यकारिणी में जगह दिलाने में सफल रहे। ताकि जरूरत अनुसार जयकारी करते रहे।

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