मध्य प्रदेश

Singrauli News : नदमनिया धर्मदेवा टोला के हैंडपंप एवं कुआं ड्राई, इंजीनियर व सचिव सस्पेंड

जपं चितरंगी के ग्राम पंचायत खम्हरिया पंचायत का आदिवासी झरने का पानी पीने को मजबूर, कार्यपालन यंत्री एवं सरपंच को नोटिस जारी

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सिंगरौली। जैसे-जैसे गर्मी रफ्तार पकड़ रही है। वैसे-वैसे ग्रामीण इलाको में जन संकट गहराने लगा है और जलाशय सूख चुके हैं या फिर सुखने के कगार पर हैं। हैंडपंपों में पानी रूक-रूक कर आने लगे हैं। हर घर नल-जल योजना धरातल पर नही पहुंच पाई है। कागजो पर आंकड़ेबाजी हो रही है। इधर बैठको में समाधान खोजा जा रहा है और गांवों में पानी के लिए त्राहिमाम मची हुई है। ऐसा ही हाल जिले के चितरंगी जनपद क्षेत्र के ग्राम पंचायत खम्हरिया के धर्मदेवा टोला के आदिवासी झरने का गन्दा पानी पीने को मजबूर हैं ।

जिले भर में कई ऐसे तराई अंचल के गांव हैं, जहां पानी की समस्या शुरू हो गई है। सरई के साजापानी, झरिया, बिक्खा, समूद का कुछ ऐसा इलाका है जहां पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते पानी के लिए आम जनता को संघर्ष करना पड़ रहा है। जिसका जीता जागता उदाहरण जपं चितरंगी के ग्राम पंचायत खम्हरिया के नदमनिया धर्मदेवा टोला है। यहां तकरीबन 35 से 40 घर आदिवासियों की आवादी है। यहां के आदिवासी झरने का पानी पीते थे। लेकिन गर्मी धीरे-धीरे अपने सबाब की ओर बढ़ रही है, तो झरना भी जवाब देने लगा है। अब तो इस झरने से मटमैला पानी निकल रहा है। इस मटमैले पानी को ही आदिवासी पी रहे हैं।

इधर प्रशासन जल गंगा संवर्धन के प्रचार-प्रसार व बैठको में व्यस्त है। कागजों में ही जिले की जनता को प्रशासन पानी पिला रहा है। यह कोई पहली बैठक या अभियान नही है। हर साल गर्मी शुरू होते ही प्रशासन इसी तरह अभियान छेड़ता है और एकाध महीने में यह योजना हवा में उड़ जाती है। गांव-गांव, घर-घर टोटी से पानी पहुंचाने का दावा भी फेल नजर आ रहा है। ऐसा ही हाल खम्हरिया ग्राम पंचायत के धर्मादेवा टोला में कहने के लिए चार हैंडपंप हैं। एक का उत्खनन फरवरी महीने में हुआ है। उसका हैंडल आज तक नही लगा है। शेष हैंडपंपों से बूंद-बंूद पानी निकलता है। राइजर पाईप फटी हुई है। स्थानीय पीएचई अमला उदासीन हैं। इधर कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने पीएचई इंजीनियर व पंचायत सचिव को निलंबित करते हुये कार्यपालन यंत्री को नोटिस के साथ ही सरपंच को पद से पृथक करने का नोटिस जारी किया है।

डीएमएफ के हैंडपंप में विभाग की सेंधमारी

डीएमएफ फण्ड से एनटीपीसी, एनसीएल सीएसआर मद से जिले भर में हैंडपंप उत्खनन पीएचई विभाग के द्वारा कराया जाता है। इस हैंडपंप उत्खनन में विभाग व संविदाकार जमकर खेला करते हैं। अधिकांशत: डीएमएफ से हैंडपंप उत्खनन कराया है, 150 से 200 फीट उत्खनन है। जबकि संविदाकार पेमेंट लेने के लिए 250 से 300 फीट का पेमेंट निकालते हैं। हैंडपंप उत्खनन में पीएचई विभाग के अधिकारी व संविदाकार जमकर सेंधमारी करते हैं। हैंडपंपों का कम उत्खनन होने की वजह से गर्मी के पूर्व ही हैंडपंप हवा उगलने लगते हैं। इधर बता दें कि ग्राम पंचायत खम्हरिया के नदमनिया धर्मदेवा टोला में भी संतलाल, बृहस्पति गोड़ व बहादुर गोड़, राजपति के घर के पास तीन हैंडपंप हैं, लेकिन तीनों सूख गये हैं।

इनका कहना:-

धर्मदेवा आदिवासी बस्ती में दो हैंडपंप हैं। जो ड्राई हो चुके है। नया एक हैंडपंप का खनन हुआ है 3 माह से राइजर लाइन और असेंबली नहीं लगाई है । ऐसी दशा में पीएचई के इंजीनियर को सस्पेंड करना,ईई पीएचई को नोटिस दिया जाना प्रस्तावित कर रहे हैं । साथ ही सरपंच को पद से पृथक करने का नोटिस जारी कर दिया है तथा सचिव को निलंबित कर दिया है। ग्राम पंचायत करौंदिया से अभी तुरंत टैंकर के माध्यम से पानी की उपलब्धता कराई जा रही है।
चन्द्रशेखर शुक्ला,
कलेक्टर, सिंगरौली

इनका कहना:-

गांव में कुछ दूर पर हैंडपंप खोदवाया गया है। लेकिन हैंडपंप अब पानी नही दे रहा है। डेढ़ किलोमीटर दूर जाकर झरने का पानी पी रही हॅू। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि व प्रशासन पानी उपलब्ध नही करा पा रहा है। हम लोगों की व्यथा सुनने वाला कोई नही है।
रामकली गोड़, धर्मदेवा टोला

इनका कहना:-

पानी के लिए हम लोग हमेशा परेशान रहते हैं। कोई सुनने वाला नही है। पानी के लिए डेढ़ से दो किलोमीटर दूर जाकर झरने से पानी लाना पड़ता है। लेकिन इस समय झरने का पानी गंदा आ रहा है। उसी गंदे पानी को छान कर पी रही हूॅ।

चन्द्रकली गोड़, नदमनिया धर्मदेवा टोला

इनका कहना:-

गर्मी के दिनों में मोहल्लों में पानी की बहुत ज्यादा किल्लत रहती है। पानी के लिए लोग मजबूर होकर झरने का पानी से अपनी प्यास बूझा रहे हैं। हम आदिवासियों के दर्द को सुनने वाला कोई नही है।
बुद्धिमान सिंह, धर्मदेवा टोला

इनका कहना:-

सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं आदिवासियों के लिए करती है, लेकिन यहां तो आदिवासी पानी के लिए मर रहे हैं। अपनी प्यास बूझाने के लिए नाले, झरना के गंदे पानी को पी रहे हैं। इसी पानी से बीमारी भी फैलती है।
अनिल सिंह गोड़, धर्मदेवा टोला

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