मध्य प्रदेश

Singrauli News : अवैध लाल ईट भट्टों के कारोबार से काचन नदी का अस्तित्व खतरे में !

कोतवाली पुलिस, राजस्व अमला और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की लापरवाही, शहर में चल रहा अवैध कारोबार

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सिंगरौली । लाल ईटा में लगे प्रतिबंध के बाद भी नगर निगम क्षेत्र में ही अवैध कोयले से ईटा भट्टों धधक रहे हैं।
यह अवैध कारोबार वार्ड क्रमांक 29 देवरा के सरकारी जमीन पर हो रहा है। कोयल की चोरी देवरा से निकल रही रेलवे रैक से हो रही है। यह अवैध काम पुलिस के सरपरस्ती पर हो रहा हैं। देवरा बीट प्रभारी रेलवे रैक से कोयला उतरने, मिट्टी खनन सहित ईटा भट्टों कारोबारियों से सुविधा शुल्क लेकर सरकारी संपत्ति का दोहन करने खुली छूट दे रखी है।

कोतवाली थाना क्षेत्र में लाल ईंटों भट्टों के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने का दावा करने वाले प्रशासन की आंख के नीचे आखिर अवैध कारोबार का इतना बड़ा खेल कैसे चल रहा। कोतवाली पुलिस की ओर से क्षेत्र में दिन-रात गस्त के दावे भी फेल होते साबित हो रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पर्यावरण को बचाने के दावे धरातल पर कुछ और हकीकत बयां कर रहे हैं। यहां सरकारी जमीन की मिट्टी से लाल ईटा बनाने और अवैध कोयले से पकाकर बेचने का कारोबार हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ काचन नदी के अस्तित्व में भी खतरा बन गया है।

रेलवे रैक से उतारा जा रहा कोयला

एनसीएल की खदानों से एनटीपीसी रिंहद सहित अन्य पावर प्लांटों में रेलवे ट्रैक के जरिए कोयले की आपूर्ति होती है। कोयला कारोबारी कोयला लोड ट्रेन का प्रेशर निकालकर देवरा में कुछ समय के लिए रोक देते हैं। इसके बाद आधा दर्जन लोग ट्रेन में चढ़कर कोयला नीचे फेंकते हैं फिर जमीन पर पड़े कोयला को बोरो में भरकर ईटा भ_ा में पहुंचाया जाता है। अवैध कारोबारी इस काम के लिए आधा दर्जन लोगों को लगा कर रखा है जिनका काम ही रेलवे रैक से कोयला चोरी का ही है। कई प्रबुद्धजनों का आरोप है कि कोयला चोरी का यह खेल कोतवाली पुलिस और सीआरपीएफ पुलिस इसको भी पता है, कोई कार्यवाही नहीं करती।

काचन नदी का अस्तित्व खतरे में

देवरा वार्ड में सरकारी जमीन से लगी काचन नदी निकली हुई है। अवैध ईट का कारोबार करने वालों ने नदी के किनारे की भुरभुरी मिट्टी का इस्तेमाल ईटा बनाने के लिए करते हैं। जिसके लिए पूरा नदी का किनारा खोदकर खाईनुमा बना दिए हैं। ऐसे में काचन नदी का अस्तित्व खतरे में पढ़ता नजर आ रहा। कारोबारियों ने नदी का स्वरुप पूरी तरह से बिगाड़ दिया है। नदी के एक तरफ सैकड़ों कई वर्गमीटर खोदाई की गई है। जो भविष्य के लिए यह अच्छा संकेत नही माना जा रहा है।

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