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Singrauli कलेक्टर के सामने बेनकाब हुई सिटाडेल

डेढ़ करोड़ भुगतान, जमीन पर गंदगी, निरीक्षण में उजागर हुई ननि-कंपनी की मिलीभगत, कचरा खाद मशीन ने खोल दी पोल

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सिंगरौली । शहर की सफाई व्यवस्था की सच्चाई आज दिन मंगलवार की सुबह उस वक्त पूरी तरह उजागर हो गई, जब कलेक्टर गौरव बैनल ने गनियारी स्थित कचरा संग्रहण एवं प्रसंस्करण प्लांट का औचक निरीक्षण किया। कागजों में चमकती व्यवस्थाएं और फाइलों में दिखाए जा रहे दावे मौके पर पूरी तरह हवा हो गए। सिटाडेल कंपनी द्वारा संचालित प्लांट में कचरे से खाद बनाने की व्यवस्था बुरी तरह चरमराई हुई मिली, जिससे नगर निगम और कंपनी दोनों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।

निरीक्षण के दौरान कलेक्टर ने देखा कि कन्वेयर आधारित खाद निर्माण मशीनें सही ढंग से संचालित ही नहीं हो रही हैं। मशीनों से खाद का उत्पादन लगभग शून्य था, जबकि कागजों में नियमित उत्पादन दिखाया जा रहा है। इससे साफ हो गया कि रिपोर्टिंग में भारी हेरफेर किया जा रहा है। नाप-तौल की व्यवस्था भी संदिग्ध पाई गई, जहां कचरे की मात्रा और तैयार खाद के आंकड़ों में भारी अंतर सामने आया।

निरीक्षण के बाद मचा हड़कंप, शहरवासियों को जगी उम्मीद:-कलेक्टर के सख्त रुख और सीधे सवालों के बाद नगर निगम महकमे में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि इस कार्रवाई के बाद सिटाडेल कंपनी पर दबाव बढ़ेगा और वर्षों से बदहाल पड़ी सफाई व्यवस्था को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। वहीं शहरवासियों को उम्मीद है कि अब केवल कागजी नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देने वाली सफाई देखने को मिलेगी। फिलहाल कलेक्टर के निरीक्षण में सीटाडेल के दावे की पोल खुल गई है।

डेढ़ करोड़ का भुगतान, फिर भी शहर गंदा, कलेक्टर का फूटा गुस्सा

प्लांट की बदहाली देखकर कलेक्टर गौरव बैनल ने मौके पर ही कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि हर महीने करीब डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान सिटाडेल कंपनी को किया जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद शहर की हालत जस की तस बनी हुई है। न तो पर्याप्त कचरा संग्रहण वाहन नजर आए और न ही समय पर कचरा उठाया जा रहा है। शहर के कई इलाकों में गंदगी पसरी हुई है, ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि आखिर इतना बड़ा भुगतान किस काम के लिए किया जा रहा है। कलेक्टर ने अधिकारियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि फाइलें तो नियमित रूप से पुटअप हो जाती हैं, भुगतान भी निर्बाध जारी है, लेकिन शहर की वास्तविक स्थिति देखने वाला कोई नहीं है। क्या शहर साफ है या नहीं, इससे किसी को मतलब नहीं रह गया है। उन्होंने साफ कहा कि केवल कागजों में काम दिखाकर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता।

सुधर जाओ, वरना होगी कठोर कार्रवाई, 7 दिन का अल्टीमेटम

निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि जिन वाहनों के जरिए कचरा संग्रहण किए जाने का दावा किया जा रहा है, वे या तो मौके पर मौजूद नहीं थे या उनकी संख्या बेहद कम थी। कई वार्डों से लंबे समय से नियमित कचरा न उठने की शिकायतें मिल रही थीं, लेकिन नगर निगम स्तर पर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। कलेक्टर ने ननि के अधिकारियों को निर्देशित किया कि सिटाडेल कंपनी को तत्काल नोटिस जारी किया जाए और नियमों के उल्लंघन के चलते भुगतान में कटौती की जाए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सात दिवस के भीतर व्यवस्था में ठोस सुधार नहीं हुआ, तो कंपनी के साथ-साथ जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने ननि अधिकारियों को आईना दिखाते हुए कहा कि आप लोग केवल फाइलों और भुगतान तक सीमित न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर निगरानी करें। नगर निगम के अधिकारी होने के नाते शहर की सफाई आपकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। अगर आपको ही यह नहीं पता कि व्यवस्था कैसी चल रही है, तो यह बेहद गंभीर स्थिति है।

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