वाराणसी-सिंगरौली इंटरसिटी न समय पर चलती है, न कभी होती है सफाई, सुरक्षा व्यवस्था भी नहीं
रेलवे प्रशासन कर रहा यात्रियों की अनदेखी, ऐसे में मजबूरी की सवारी बनी मेमू ट्रेन

सिंगरौली (मोरवा) सिंगरौली-वाराणसी-सिंगरौली के बीच चलने वाली इंटरसिटी मेमू ट्रेन में समयबद्धता, सुरक्षा और सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। सिंगरौली से सही समय पर वाराणसी पहुंचने के बावजूद इस ट्रेन को वहीं से गायब कर दिया जाता है। हर दिन तीन-चार घंटे से अधिक देरी से चलाने से इस ट्रेन की उपयोगिता जानबूझ कर समाप्त होती जा रही है। यह हर दिन का नियम सा बनता जा रहा है कि वाराणसी जंक्शन से इंटरसिटी को समय पर नहीं चलाया जाता है। बनारस इंटरसिटी के नाम से लोग इस ट्रेन को सफाई और सुरक्षा के नाम पर कोसते रहते हैं। मेमू ट्रेन में पानी कभी नहीं भरा जाता है और टायलेट्स की सफाई तो संभवतः महीनों तक नहीं की जाती है। जिस प्रकार गंदगी कोच में देखी जा सकती है कि कोई सामान्य जन भी इनका उपयोग नहीं करना चाहेगा। इस प्रकार की शिकायत सिर्फ शिकायत तक ही सीमित नहीं है, यह कितना खतरनाक है, जिसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है।
वाराणसी में मेमू को कर दिया जाता है गायब
सिंगरौली से वाराणसी प्रोस्टेट की बीमारी से पीड़ित बीएस गुप्ता बुजुर्ग इस ट्रेन में सवार थे। उन्हें सिर्फ डॉक्टर को दिखाकर दवा ही लेनी थी, लेकिन वे ट्रेन से सिर्फ इसलिए गये कि उन्हें बार-बार टायलेट जाने की जरूरत पड़ रही थी। जैसे ही ट्रेन खड़ी होती वे कभी प्लेटफार्म पर तो कभी रेलवे ट्रैक पर ही यूरिन के लिए उत्तर पड़ते। उनसे बात करने पर पता चला कि वे इसी लिए ट्रेन से आते हैं कि उन्हें बार-बार यूरिन की समस्या से राहत मिलेगी, क्योंकि बस तो जगह-जगह खड़ी नहीं होती है, लेकिन एक भी टायलेट्स साफ नहीं होने की वजह से उन्हें बार-बार ट्रेन से ही उतरना पड़ रहा था। यह उनके लिए इतना अधिक खतरनाक था कि वे हर समय ट्रेन के चल देने की चिंता में बने रहते।
यह अलग बात है कि सिंगरौली से हर दिन मेमू राइट टाइम पहुंच जाती है। कई बार तो स्टेशन पास करने के लिए मेमू को इंतजार करना पड़ता है। समय से पहुंचने के बाद इस ट्रेन को वाराणसी से गायब कर दिया जाता है। बताते हैं कि इसी रेक को किसी अन्य रूट में भेज दिया जाता है। रेल सूत्रों की मानें तो इसे क्लीनिंग के लिए भेज दिया जाता है, लेकिन यह कैसी धुलाई सफाई है कि 14:10 बजे वाराणसी से रवाना होने की बजाय हर दिन 6 बजे तक ट्रेन का पता नहीं रहता है। यहां तक कि स्टेशन पर एनाउंसमेंट तक नहीं किया जाता है। तब तक 2 से 6 बजे तक प्लेटफार्म पर इंतजार करते यात्री मजबूर होकर शाम 7 बजे सिंगरौली के लिए चलने वाली यूपी रोडवेज की बस की यात्रा करने के लिए रेलवे स्टेशन छोड़कर बस स्टैंड पहुंच जाते हैं
नहीं की जाती है सफाई
आम तौर पर सिंगरौली अथवा शक्तिनगर पहुंची ट्रेन की सफाई तो हो नही पाती, क्योंकि यहां पर वॉशिंग पिट नहीं है। देर रात आने वाली ट्रेन को मोबाइल की टार्च जलाकर सिंगरौली में झाड़ लगाकर साफ कर दिया जाता है। लेकिन यहां पर धुलाई की जाती है और न ही पानी भरा जाता है। सब कुछ वापस होकर वाराणसी में ही किए जाने की बात कह कर अलसुबह रवाना कर दिया जाता है। जिसमें किसी तरह से यात्री सफर करते है और जल्द से जल्द अपनी यात्रा पूरी होने की आस लगाए रहते हैं।
सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं
वाराणसी-सिंगरौली इंटरसिटी में मेमू के खुले-खुले कोच किसी भी हाल में सुरक्षित नहीं हैं। दिन के समय तो यात्री किसी तरह बजे के बाद चलने के कारण आधी रात तक यात्री किसी अनजाने भय से परेशान रहते हैं। ट्रेन में कभी भी आरपीएफ अथवा जीआरपी सहित सुरक्षाकर्मी नहीं दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं किसी भी स्टेशन में भी सुरक्षा कर्मचारी नहीं आते हैं। अकेले आने वाले बच्चे, महिलाएं असुरक्षा के कारण मेमू की बजाय बस की यात्रा करना अधिक सुरक्षित समझते हैं।
ध्यान दे रेल प्रशासन
जिस प्रकार इस ट्रेन को प्रत्येक वर्ष फॉग व नो पाथ सहित अन्य कारणों से महीनों तक बंद रखा जाता है, लेकिन मौजूदा समय में पूर्ण रूपेण दोहरीकरण व विद्युतीकरण की स्थिति में ट्रेन को चलायमान रखा जा सकता है। बशर्ते रेल प्रशासन को इस ट्रेन की साफ-सुथरा और समयबद्धता के साथ सुरक्षात्मक ढंग से चलाए रखने की आवश्यकता है। चुनार से वाराणसी और वाराणसी से चुनार तक हर दिन सैकड़ों छात्र व हर दिन अपनी सरकारी ड्यूटी करने वाले लोग भी इस मेमू ट्रेन का उपयोग करते हैं। रेल प्रशासन को इस ट्रेन की उपयोगिता को बचाए रखने की जरूरत है।




