Singrauli News: राजेश ने उपाध्यक्ष पद ठुकराया, मंत्री त्यागपत्र देने की तैयारी में
जिला कार्यकारिणी घोषित होने के 24 घंटे के अंदर भाजपा में असंतोष उपजा, कद्दावर ब्राह्मण भाजपा नेता ने दिया झटका

सिंगरौली। भाजपा जिला कार्यकारिणी घोषित होने के 24 घंटे के अंदर भाजपा में असंतोष उपज रहा है। कद्दावर ब्राह्मण भाजपा ने राजेश तिवारी रज्जू ने जिला उपाध्यक्ष पद से त्याग पत्र देकर भाजपा को झटका दिया है। वहीं एक मंत्री भी त्याग पत्र देने की तैयारी में लगे हैं। ब्राह्मण कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दिए जाने से भाजपा की सूची पर तरह-तरह की उंगलियां उठने लगी हैं।
गौरतलब है कि भाजपा प्रदेश से नेतृत्व के अनुमोदन उपरांत भाजपा जिला अध्यक्ष सिंगरौली ने बीते दिन शुक्रवार को जिला कार्यकारिणी के पदाधिकारी के नाम का ऐलान किया है। इस भाजपा के कार्यकारिणी में देवसर विधानसभा से किसी भी कार्यकर्ता को जहां जगह नहीं मिली है, वहीं दलित वर्ग को भी कार्यकारिणी में सूची से दूर रखा गया है। इतना ही नहीं चितरंगी विधानसभा क्षेत्र से भी किसी आदिवासी पुरुष को कार्यकारिणी जगह न दिए जाने को लेकर भाजपा कि कार्यकारिणी सूची पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। आखिरकार किस नेता के कहने पर देवसर विधानसभा के साथ-साथ चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में आदिवासी एवं दलित कार्यकर्ताओं को कार्यकारिणी में नहीं रखा गया है। हालांकि क्या विशेषाधिकार है, लेकिन जाति समीकरण बैठने में इस बार भाजपाई कहीं न कहीं पीछे हट गये, इसके पीछे कारण जो भी हो इसे तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ही बता पाएगा, लेकिन भाजपा के जिला कार्यकारिणी की सूची में भेदभाव किए जाने को लेकर संगठन पर ही तरह-तरह की उंगलियां उठने लगी हैं। खबर आ रही है कि सूची जारी होने के 24 घंटे के अंदर ही एक महिला जिला मंत्री अपने पद से इस्तीफा देंगे, उन्हें जिले कि कार्यकारिणी में जाना पसंद नहीं यह मंडल तक ही सीमित रहना चाहती है। अब सवाल उठ रहा है कि किसके कहने पर उन्हें जिला मंत्री के पद से नवाजा गया था, अब उनके समर्थक ही सवालों के कटघरे में हंै। साथ ही यदि जिला मंत्री ने पद से त्यागपत्र दिया तो संगठन के चयन पर भी सवाल उठना लाजिमी हो जाएगा।
देवसर विधानसभा में ब्राह्मणों को नहीं मिली जगह
भारतीय जनता पार्टी सिंगरौली के जिला अध्यक्ष सुंदरलाल शाह अपनी टीम में देवसर विधानसभा से इस बार किसी भी ब्राह्मण कार्यकर्ताओं को जगह नहीं दी। जबकि देवसर विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मण के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग में साहू एवं दलित मतदाताओं का खास प्रभाव है और इन्हीं तीनों समाज बहुसंख्यक रूप में फिर भी भाजपा संगठन के शीर्ष नेतृत्व ने इन तीनों समाज के कार्यकर्ताओं को तबज्जो नहीं दिया है। राजनीतिक पंडित इसके पीछे एक नहीं अनेक कारण गिनाने लगे हैं। उनका कहना है कि यह सुनियोजित तरीके से तीनों समाज के लोगों को हासिए पर लाने का प्रयास है। वर्तमान ही नहीं, बल्कि भविष्य को देखते हुए दलित समाज के लोगों को किनारे किया गया था कि विधानसभा में अपनी सक्रियता ज्यादा ना दिखाएं और चुनाव में दावेदारी ना करें इसे रोकने के लिए कई बड़े नेता पर्दे के पीछे शामिल हैं।
चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में नहीं है सक्रिय आदिवासी नेता
चितरंगी विधानसभा क्षेत्र में स्व. जगन्नाथ सिंह के परिवार को छोड़ दिया जाए तो कोई बड़ा चेहरा आदिवासी रूप में नहीं है भाजपा इस जिला कार्यकारिणी की सूची में भी किसी आदिवासी पुरुष को जगह नहीं दी। जबकि यहां बताते हैं कि चितरंगी विधानसभा में करीब 50 प्रतिशत आदिवासी मतदाता हैं। इसके बावजूद भाजपा संगठन कोई बड़ा आदिवासी नेता दूसरे की तलाश नहीं कर पाया है इसके पीछे एक नहीं अनेक कारण गिनाया जा रहा है। राजनीतिक के चलते किसी आदिवासी अन्य नेता को मौका ना मिले इसके लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं जबकि महिला नेतृत्व रूप में पूर्व में प्रेमवती खैरवार सक्रिय है परंतु उन्हें हासिए पर रखने के लिए हर संभव कोशिश जारी है।
राजेश तिवारी ने पद से दिया त्यागपत्र
प्रदेश अध्यक्ष के नाम लिखे पत्र में राजेश तिवारी ने जिक्र किया है कि मैं भारतीय जनता पार्टी का निष्ठावान एवं अनुशासित कार्यकर्ता हूॅ। भाजपा सिंगरौली द्वारा बीते 19 सितंबर को जारी जिला पदाधिकारी की सूची में क्रमांक 1 पर मुझे जिला उपाध्यक्ष का दायित्व सौपा गया है। इस नए दायित्व का निर्वहन पारिवारिक कारणों एवं समय न दे पाने के कारण मैं निजी स्वेच्छा एवं बिना किसी के दबाव से अपने नवीन दायित्व जिला उपाध्यक्ष भाजपा सिंगरौली से त्यागपत्र देता हूॅ। इधर सूत्रों की बातों पर गौर करें तो राजेश तिवारी भाजपा सिंगरौली में जिला महामंत्री रह चुके हैं, इसके अलावा तीन बार जिला उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी का निर्वहन कर चुके हैं। वही पार्टी में रहकर कई दायित्व का बखूबी निर्वहन किया है। इसके अलावा जिलाध्यक्षीय के रेस में ब्राह्मण चेहरा में प्रबल दावेदार थे। चर्चा है कि उस समय पर्यवेक्षक भी आये थे। सिर्फ हवा फैलाने के लिए आये थे। हाई कमान पहले ही निर्णय ले चुका था, लेकिन राजेश तिवारी ने जो निर्णय लिया, वह जायज माना जा रहा है और इस निर्णय को ब्राह्मण नेता भी सही मान रहे हैं।




