2 करोड रुपए की रंगदारी मांगने के आरोप में पूर्व विधायक गिरफ्तार

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गाजियाबाद के धौलाना के पूर्व विधायक असलम चौधरी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. मामला जमीन पर कब्जा करने और 2 करोड़ रुपये मांगने का है. एमपी/एमएलए कोर्ट ने 23 अगस्त को असलम चौधरी और उनके दो सहयोगियों जुनैद टाटा और जुबैर टाटा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था। पुलिस तभी से उसकी तलाश कर रही थी.

पुलिस का कहना है कि गिरफ्तारी उत्तराखंड के रूड़की से की गई है. उसे वहां से लाकर सोमवार को गाजियाबाद कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह मामला 6 जुलाई 2023 का है. यामीन उर्फ ​​राजा दीवान ने मसूरी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।

यामीन का आरोप है कि असलम चौधरी, उनके बेटे शाहनवाज और कुछ अन्य लोगों ने उनकी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. उन लोगों ने दो करोड़ की रंगदारी मांगी. 3 अक्टूबर, 2023 को यामीन द्वारा दर्ज मामले की एफआईआर में कहा गया था कि जब उन्होंने पुलिस को बुलाया तो पूर्व विधायक अपने साथियों के साथ भाग गए।

उसने भागते समय धमकी दी थी कि उनकी हत्या कर लाश को गंगनहर में फिंकवा देगा। पुलिस ने मामले की जांच की तो पूर्व विधायक ने जमीन अपनी बताई। यामीन का कहना था कि असलम कह रहा था कि या तो जमीन खाली करो या फिर दो करोड़ रुपये दो।

पुलिस की जांच में पूर्व विधायक और उसके सहयोगियों के खिलाफ घटना के साक्ष्य मिले। इस पर कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। एसीपी मसूरी नरेश कुमार ने बताया कि अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है। जल्द ही उनकी भी गिरफ्तारी होगी।

बसपा से जीता, फिर सपा में शामिल हुआ
असलम चौधरी 2017 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर धौलाना से विधायक बना था। बाद में उसने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी। 2022 का चुनाव सपा के टिकट पर ही लड़ा था। इसमें उसे हार मिली। उसे भाजपा के धर्मेश तोमर ने हरा दिया था। धर्मेश को 1.24 लाख और असलम को 1.11 लाख वोट मिले थे।

उसकी पत्नी नसीम बेगम गाजियाबाद के वार्ड संख्या 10 से जिला पंचायत सदस्य है। नसीमा को सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद का उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन इस चुनाव में भाजपा की ममता त्यागी निर्विरोध जीत गई थीं।

जमीन कब्जाने के मामले में मिल चुकी है सजा
असलम चौधरी के खिलाफ कुल 12 केस दर्ज हैं। इनमें जमीन कब्जाने, मारपीट, धमकी देने, रंगदारी मांगने और जानलेवा हमले के केस शामिल हैं। उसे जमीन कब्जाने के एक मामले में दो मार्च 2023 को सजा भी सुनाई जा चुकी है। मसूरी का यह मामला 17 साल पुराना है।

मामले में मुख्य गवाह के बयान बदलने के बावजूद अदालत ने असलम चौधरी सहित चार दोषियों को छह महीने की कारावास की सजा सुनाई थी। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रवि शंकर गुप्ता ने चारों दोषियों पर 10,500 रुपये का अर्थदंड भी लगाया था। केस लईक अहमद ने दर्ज कराया था।

लईक अहमद बीमारी से ग्रस्त होने के कारण चलने फिरने में असमर्थ हैं। उनके दोनों बेटे देखने और सुनने में असमर्थ हैं। इसका फायदा उठाकर असलम चौधरी, हाजी निजाम, शाहिद अली और मुजम्मिल उसकी जमीन पर कब्जा कर उसे बेचना चाहते थे।

पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी थी। मामले में मुख्य गवाह वादी लाइक अहमद की पुत्री ने अपने बयान बदल दिया था।
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