अनपरा। दशकों से एनटीपीसी द्वारा उत्सर्जित राख एस पाउड में दबाकर रखी गई है। उसके निस्तारण के लिए एनटीपीसी पर एनजीटी सहित अन्य एजेंसी का दबाव है। ऐसे में पेनाल्टी के कुछ पैसे बचाने के चक्कर में एनटीपीसी सारे नियम और कानून को ताक पर रखकर राख की ट्रांसपोर्टिंग मनमानी तरीके से कर रही है।
आलम यह है कि 30 टन परिवहन करने वाले वाहन 60 से 70 टन राख धड़ल्ले के साथ ले जा रहे हैं। उन्हें ना तो जिला प्रशासन का खौफ है और ना ही किसी सरकारी एजेंसियों की। एनजीटी भी मूकदर्शक बनकर इस तमाशा को देख रहा है। पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड भी मुंह सील कर बैठा हुआ है। जबकि राख से वाराणसी-शक्तिनगर मार्ग पूरी तरह से पट गया है।
उस पर जब वाहनों का आवागमन होता है तो कोहरे को भी फेल कर देने वाले राख के गुबार से ऐसा धुंध उठता है जो आसपास के पूरे वायुमंडल को अपने आगोश में ले लेती है। यहां रह रहे वासियों और सड़क पर चलने वाले लोगों के फेफड़ों को यह जानलेवा कण अंदर ही अंदर छलनी कर रहे है। चिकित्सक प्रियांशु अग्रवाल बताते हैं कि यह कण व्यक्ति के फेफड़ों में जाकर उन्हें दम, टीवी लंग्स इनफेक्शन सहित सैकड़ों तरह के रोग पैदा करता है।
यहां तक की इनकी अधिकता के चलते लोगों के फेफड़े काम करना बंद कर दे रहे है। आँखों में जलन, नाक में पानी आना, इन्फेक्शन त्वचा संबंधी रोग को राख के कण तेजी से फैला रहे हैं। ऑडी के रहने वाले रमाशंकर, मनोज कुमार, महेश इब्राहिम सहित कई लोग परिक्षेत्र छोड़कर के अपने गांव या अन्य जगहों पर पलायन हो चुके है।