Singrauli जिले के खाद्यान्न वितरण व्यवस्था में व्यापक गोलमाल
जिले के सरई इलाके में सबसे ज्यादा मिल रही शिकायतें, जांच प्रतिवेदन के बाद भी कार्रवाई ठण्डे बस्ते में

सिंगरौली । जिले में सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली के तहत हितग्राहियों को मिलने वाले खाद्यान्न वितरण व्यवस्था में व्यापक पैमाने पर घपलेबाजी की जा रही है। जिसकी शिकायत होने के बाद भी विके्रताओं पर कार्रवाई करने से अधिकारी कन्नी काट रहे हैं।
दरअसल जिले में सार्वजनिक खाद्यान्न वितरण प्रणाली व्यवस्था चरमरा गई है। आरोप है कि जिले के खाद्य महकमा सरकारी उचित मूल्य दुकान के विके्रताओं पर मेहरवान हैं। खाद्य अधिकारी से लेकर निरीक्षकों के द्वारा विके्रताओं को खाद्यान्न हेरफेर करने के लिए खुली छूट दे रखी है। जिसके चलते कई विके्रता दो से तीन महीने का खाद्यान्न वितरण नही करते। जिसकी शिकायतें भी कलेक्टर के जनसुनवाई में भी पहुंचती रहती है। फिर भी संबंधित विके्रताओं पर कड़ी कार्रवाई करने से विभागीय अमला कन्नी काटता रहता है।
इसके पीछे प्रमुख कारण खाद्य अमले एवं विके्रताओं के बीच गठजोड़ होना बताया जाता है। इस तरह के आरोप आये दिन लगते भी रहते हैं। सरई तहसील इलाके के साजापानी एवं छमरछ समेत आधा दर्जन से अधिक ऐसी उचित मूल्य दुकानें हैं। जहां भोले-भाले, गरीबों को दुकानों में कई बार चक्कर लगाने के बावजूद दो-दो, तीन-तीन महीने का राशन वितरण नही किया जाता। ई-केवाईसी का आड़ लगाकर उक्त दुकानों के विके्रता हितग्राहियों को वैरंग लौटा देते हैं। पिछले दिनों शासकीय उचित मूल्य दुकान साजापानी का ज्वलंत उदाहरण हैं। जहां तीन महीने से हितग्राहियों को राशन नही दिया गया। जिसके चलते गुस्साएं ग्रामीणों ने सरपंच के मौजूदगी में ताला लगा दिया था। सरई तहसीलदार चन्द्रशेखर मिश्रा के हस्तक्षेप एवं दखल के बाद राशन दुकान का ताला खुला और खाद्यान्न वितरण शुरू करा दिया।
वही सवाल उठ रहा है जब दुकान में पर्याप्त मात्रा में राशन था, फिर हितग्राहियों को खाद्यान्न क्यों नही दिया जा रहा था। फिलहाल यही कहा जा रहा है कि जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जिला खाद्य अधिकारी पीसी चन्द्रवंशी के कार्यकाल में कई विके्रता मनमाफिक कार्य कर रहे हैं। इन कथित विके्रताओं पर कार्रवाई करने के बदले संरक्षण मिल रहा है। इसका मुख्य कारण क्या है, इसे तो जिला खाद्य अधिकारी और कथित विके्रता ही बता सकते हैं, लेकिन खाद्यान्न वितरण व्यवस्था अस्त-व्यस्त होने के साथ-साथ घपलेबाजी इन दिनों चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
सरई क्षेत्र में सबसे ज्यादा मिल रही हैं शिकायतें
आरोप है कि जिले के दुरस्थ अंचल सरई व लंघाडोल इलाके में खाद्यान्न वितरण व्यवस्था अस्त-व्यस्त है और यहां के हितग्राहियों को खाद्यान्न के लिए दो-दो, तीन-तीन महीना सरकारी दुकानों में चक्कर लगाना पड़ता है। जब काफी हंगामा होने लगता है, तब विके्रता के साथ-साथ समिति प्रबंधकों की नींद टूटती है। इसके पहले तरह-तरह के बहानेबाजी बताकर हितग्राहियों को वैंरग लौटा दिया जाता है। आरोप यह भी है कि इसकी शिकायत जिला खाद्य अधिकारी समेत अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के यहां पहुंचती है, लेकिन कई विके्रताओं पर इनकी मेहरवानी समझ से परे है। ग्रामीण भी मानते हैं कि इन दिनों खाद्यान्न व्यवस्था में घपलेबाजी जमकर की जा रही है।
महीने भर के बाद भी नही हुई कार्रवाई
सरई तहसील क्षेत्र के शासकीय उचित मूल्य दुकान छमरछ में विके्रता के द्वारा हितग्राहियों को दो से तीन महीने का खाद्यान्न न दिये जाने की शिकायत हुई। जहां नायब तहसीलदार के नेतृत्व में जांच टीम दुकानों में पहुंची। मौके पर दुकान में भारी मात्रा में खाद्यान्न मिला। जांच टीम ने अपना प्रतिवेदन भी उप खण्ड अधिकारी देवसर को सौप दिया। लेकिन हैरानी की बात है कि एसडीएम के द्वारा अब तक संबंधित विके्रता के विरूद्ध कोई कार्रवाई नही की गई। जबकि जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट जिक्र है विके्रता के द्वारा चोरी छीपे खाद्यान्न को निवास बाजार में साहूकारों के दुकानों में विक्री कर दिया जाता है।