Singrauli News : गनियारी प्लाजा का मामला पहुंचा न्यायालय में , व्यापारी निराश
6 से 8 महीने के अंदर नई दुकान देने का ननि के द्वारा किया गया था वादा, अब मामला खटाई में

सिंगरौली। ननि के वार्ड क्रमांक 41 गनियारी व्यावसायिक प्लाजा के ध्वस्त कराने और व्यापारियों को नई दुकान उपलब्ध कराने का वादा खटाई में पड़ता दिखाई दे रहा है। नगर निगम की महापौर ने उक्त मामले को हाईकोर्ट में पहुंचा दी है। जहां से स्थगन मिल गया है।
गौरतलब है कि वार्ड क्रमांक 41 गनियारी में व्यावसायिक प्लाजा बना हुआ है। जहां जर्जर अवस्था में पहुंचने और आये दिन छत का मलवा गिरने की लगातार शिकायतों को मद्देनजर नपानि के तकनीकि अधिकारियों से इसकी जांच कराई। जहां उक्त प्लाजा को जर्जर हालत में बता दिया। पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त के भरी बारिश महीने में यहां के करीब आधा सैकड़ा से अधिक व्यापारियों को अल्टीमेटम देकर एसडीएम एवं निगमायुक्त ने पुलिस के बल पर दुकानों को खाली करा दिया। इस दौरान व्यापारियों को आश्वासन दिया गया कि 6 से 8 महीने के अंदर नई दुकाने तैयार कर उपलब्ध करा दी जाएगी। लेकिन तारीख व महीना बितता गया, लेकिन जर्जर दुकानों को न तो अब तक जमीदोज कराया गया और न ही व्यापारियों को कहीं उचित व्यवस्था की गई। लिहाजा यहां के आधा सैकड़ा से अधिक व्यापारी औने-पौने कीमत में किराये की दुकान ले लिया, लेकिन दुकानों का महंगा भाड़ा देकर परेशान हैं।
बताया जा रहा है कि इस संबंध में संयुक्त व्यापार मण्डल के अध्यक्ष राजाराम केशरी के नेतृत्व में कई बार निगमायुक्त, कलेक्टर, विधायक, सांसद व प्रभारी मंत्री, पंचायत राज्य मंत्री से मिलकर अपनी समस्याएं गिना चुके हैं। लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। आरोप है कि मेयर रानी अग्रवाल परिषद की बैठक की एजेंडे में शामिल नही कर रही हैं। जबकि यह मामला परिषद की बैठक में कई बार भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों द्वारा उठाया जा चुका है। इसके बावजूद मेयर रानी अग्रवाल ने इसे गंभीरता से नही लिया है। आरोप यहां तक लग रहा है कि आयुक्त के द्वारा महापौर के यहां उक्त प्रस्ताव भेजा गया था। किंतु महापौर के द्वारा अनुमोदित नही किया गया, बल्कि महापौर परिषद की चार प्रस्तावों को लेकर उच्च न्यायालय जबलपुर पहुंच स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया है। अब यह मामला काफी गरमा गया है। वही व्यापारियों में अब निराशा झलकने लगी है।
12 साल में ही जर्जर हो गई प्लाजा की दुकानें: अजय
संयुक्त व्यापार मण्डल बैढ़न के सचिव अजय जायसवाल का कहना है कि गनियारी व्यावसायिक प्लाजा की दुकाने 12 साल के अंदर ही पूरी तरह से जर्जर हो गई। जबकि 30-40 साल चलनी चाहिए। जर्जर दुकानों को बताकर दुकानों जबरन खाली करा दिया गया। 60-70 दुकानदार थे, अचानक दुकानों को खाली कराया गया। उनके सामने रोजीरोटी का सवाल खड़ा हो रहा है। आज ऐसे कई दुकानदार हैं। जो दर-दर भटक रहे हैं। उन्हें कहीं दुकाने नही मिल रही हैं। इस मामले में मेयर से लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि गंभीर नही हैं। 39 दुकानदारों को टीनसेड दुकान देने का आश्वासन मिल रहा था। उसे व्यापारियों ने लेने से इंकार कर दिये। यही हाल रहा तो आगामी चुनाव में जनता नेताओं को सबक जरूर सिखाएगी।
कहीं ननि अधिकारियों को बचाने का षड़यंत्र तो नही
27 मार्च को परिषद की बैठक में 30 पार्षदों के हस्ताक्षरयुक्त पत्र के बाद चर्चा शुरू हुई। जहां निर्णय लिया गया कि 12 साल के अंदर जर्जर हालत में पहुंच व्यावसायिक प्लाजा के निर्माण के दौरान मूल्यांकन एवं देख-रेख करने वाले ननि अधिकारियों पर कार्रवाई हो और उनसे राशि की वसूली की जाये। इस तरह की चर्चाएं पूर्व की परिषद की बैठको में अन्य विषयों के साथ-साथ इसपर भी हुई थी। जहां भाजपा-कांग्रेस के सभी पार्षदों ने एक ही स्वर से उस दौरान के ननि के सिविल विभाग के अमले से राशि वसूलने की मांग कर रहे थे, लेकिन चर्चाएं हैं कि महापौर ननि के अधिकारियों को बचाने के लिए इस तरह का रास्ता निकाला है। शायद इस रास्ते में षड़यंत्र की बू सामने आ रही है। भाजपा-कांग्रेस के पार्षदों ने पिछले दिनों कलेक्टर से मिलकर महापौर की शिकायत भी की है।