Singrauli ननि अध्यक्ष ने महापौर के खिलाफ कलेक्टर से की शिकायत
परिषद के निर्णय को दरकिनार करने एवं मनमानी तौर से अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर निर्णय लेने का आरोप

सिंगरौली। नगर निगम में अध्यक्ष एवं महापौर के बीच अधिकारों में दखलंदाजी को लेकर घमासान छिड़ गया है। ननि अध्यक्ष देवेश पाण्डेय ने मेयर के खिलाफ कलेक्टर से मिल कर पूरे घटना के बारे में अवगत कराया है। जहां सूत्र बताते हैं कलेक्टर ने अधिकारों में दखलंदाजी से नाराजगी जाहिर की है।
नगर निगम अध्यक्ष देवेश पाण्डेय ने एक दर्जन से अधिक पार्षदों के साथ कलेक्टर के यहां पहुंच मेयर रानी अग्रवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुये शिकायत किया है। अध्यक्ष का आरोप है कि ननि के सभी जोन के नालियों साफ-सफाई के संबंध में प्रकरण एमआईसी की बैठक 10 जनवरी के प्रस्ताव क्रमांक 3 में रखा गया था। जिसमें प्रस्तावित राशि 11.74.27.991 की थी। जिसको एमआईसी द्वारा अपने अभिमत के साथ परिषद की ओर अग्रेषित करना चाहिए था। जबकि मेयर ने अपने अधिकारो का दुरूपयोग करते हुये अपने स्तर से निर्णय ले लिया गया। यह एमआईसी/ प्रेसीडेंट इन कॉउंसिल के कामकाज का संचालन तथा प्राधिकारियों की शक्तिओं एवं कर्तव्य नियम 1998 के नियम 11 उप नियम 2 का उल्लंघन है।
शिकायत पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि ननि क्षेत्र के निर्माणाधीन जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर के सामने सिविक सेंटर निर्माण के लिए संविदाकार द्वारा किये गये निर्माण कार्य के रनिंग देयक भुगतान निगम मद से किये जाने की स्वीकृति के लिए प्रस्ताव मेयर इन कॉउसिल की बैठक 25 अक्टूबर 2024 के प्रस्ताव क्रमांक 4 में प्रस्तुत किया गया था। उक्त प्रकरण भी एमआईसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर का था। जिसको एमआईसी द्वारा अपने अभिमत के साथ परिषद की ओर अग्रेषित करना चाहिए था। लेकिन यहां भी अधिकारो का दुरूपयोग किया गया था। वही वार्ड क्रमांक 30 जुड़वा तालाब के नामकरण का प्रस्ताव मेयर इन कॉउसिंल की बैठक 4 फरवरी के प्रस्ताव क्रमांक 6 में प्रस्तुत किया गया था।
उक्त प्रकरण भी एमआईसी के अधिकार क्षेत्र के बाहर का था। जिसमें एमआईसी द्वारा अपने अभिमत के साथ परिषद की ओर अग्रेषित करना चाहिए था, जबकि अपनें अधिकारों का दुरूपयोग करते हुए अपनें स्तर से ही निर्णय ले लिया गया। फिलहाल नगर निगम में चार प्रस्तावों को लेकर मेयर को अध्यक्ष व पार्षदों ने आड़े हाथों लेते हुये गंभीर आरोप लगा कर कलेक्टर से शिकायत कर मामले में हस्तक्षेप किये जाने की मांग की है। नगर निगम का यह विवाद तूल पकड़ लिया है और मेयर ने प्रस्ताव क्रमांक 1 से 4 को लेकर उच्च न्यायालय पहुंच गई। जहां उच्च न्यायालय से गत दिवस स्थगन आदेश मिलने की चर्चाएं हैं।
30 पार्षदो ने परिषद की बैठक में दिया था मांग पत्र
ननि अध्यक्ष देवेश पाण्डेय का कहना है कि 27 मार्च को परिषद की आयोजित बैठक में 30 पार्षदो द्वारा हस्ताक्षरित पत्र पीठासीन अधिकारी को प्रेषित कर मांग की गई कि परिषद की अधिकार क्षेत्र में चार प्रस्ताव जो महापौर द्वारा अनुमोदित नही किये जाने से परिषद के मूल प्रस्ताव में शामिल नही किया गया था। जबकि आयुक्त द्वारा महापौर के यहां उक्त चारों प्रस्ताव भेजा गया था। पार्षदों ने बैठक में उक्त चारों प्रस्ताव पर चर्चा कर निर्णय लिये जाने मांग की गई। जहां चर्चा हुई और निर्णय लिया गया। लेकिन मेयर एवं एमआईसी ने उक्त प्रस्ताव पर हाई कोर्ट से स्थगन लिया है। जो विकास कार्य में रोड़ा है।
गनियारी प्लाजा जर्जर के मामले में मेयर की चुप्पी
वार्ड क्रमांक 41 गनियारी प्लाजा के जर्जर दुकान भवनों को लेकर एक सैकड़ा व्यापारियों से खाली करा दिया गया। जहां कई व्यापारियों को भारी आर्थिक क्षति हो रही और छोटे व्यापारियों के सामने उदर पोषण का संकट खड़ा होने वाला है। इस मामले को लेकर मेयर पर आरोप है कि वे गंभीर नही हैं। पिछले वर्ष 25 नवम्बर को परिषद की बैठक में गनियारी प्लाजा का प्रस्ताव क्रमांक 3 में रखा गया था और परिषद द्वारा जानकारी के साथ आगामी बैठक में निर्णय लिया जाना था। परिषद द्वारा लिये गये निर्णय के परिपालन में प्रस्ताव एजेण्डा में शामिल करते हुये एजेण्डा अनुमोदन के लिए मेयर के यहां भेजा गया, लेकिन मेयर द्वारा उक्त प्रस्ताव का अनुमोदन नही किया गया और न ही प्लाजा समेत उक्त प्रस्तावों को परिषद की मूल एजेण्डा में शामिल नही किया गया। आरोप है कि महत्वपूर्ण प्रस्तावो को मेयर एवं एमआईसी रोक कर विकास कार्य को प्रभावित किया जा रहा है।