पिछले दशक से केंद्र सरकार का प्रयास देश के उन करोड़ों लोगों को वित्तीय प्रणाली के दायरे में लाने का रहा है, जिनके बैंकों में खाते नहीं थे. इसके लिए 2014 में प्रधानमंत्री जन धन योजना शुरू की गई. इसका वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रभाव देखा गया. आज देश में 53.13 करोड़ जन धन खाते हैं जिनमें 29.56 करोड़ महिलाएं हितग्राही हैं.
इन महिलाओं की नेतादाद अमेरिका की कुल आबादी के बराबर है. यह योजना 28 अगस्त 2014 को लांच की गई. इसके लिए देश में 77,892 कैंप लगाए गए और 1.8 करोड़ खाते खोलकर शुरुआत की गई. योजना का उद्देश्य उन लोगों के लिए बेसिक सेविंग्स अकाउंट खोलना था जिनका इसके पहले कोई बैंक खाता नहीं था. प्रधानमंत्री जन धन योजना में कोई न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं थी. पीएमजेडीवाय अकाउंट होल्डरों को रूपे कार्ड जारी किए गए.
उनका दुर्घटना बीमा कवर 1 लाख रुपए था जो अगस्त 2018 में बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया. इस योजना के अकाउंट की निम्न योजनाओं के लिए अर्हता है- डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, अटल पेंशन योजना तथा मुद्रा लोन योजना. प्रधानमंत्री जन धन योजना के 35.37 करोड़ खाते ग्रामीण व कस्बाई क्षेत्र में हैं तथा 17.76 करोड़ अकाउंट शहरी क्षेत्र में हैं. इनमें कुल 2,31,235.97 करोड़ रुपये डिपॉजिट हैं. आधे से ज्यादा अकाउंट महिलाओं के हैं.
प्रधानमंत्री जन धन योजना, आधार और मोबाइल का वित्तीय तथा बैंकिंग क्षेत्र में अनुकूल प्रभाव पड़ा. बैंकिंग सेवाओं का विस्तार हुआ. अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की तादाद में 46 प्रतिशत वृद्धि हुई. देश में 2014 में 1,66,894 एटीएम थे जो 2024 में BHAGYA VIDHATA बढ़कर 2,16,914 हो गए. पीएमजेडीवाय के 2 वर्ष बाद यूपीआई शुरू किया गया. इससे बैंकिंग लेन-देन आसान हो गया. डिजिटल क्रांति ने बैंक अकाउंट का उपयोग बढ़ा दिया. प्रधानमंत्री जन धन योजना की वजह से डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) आसान हो गया और गरीबों के खाते में शीघ्रता से सीधे पैसे पहुंचने लगे. मनरेगा व पीएम किसान योजनाओं में मार्च 2023 तक 3.48 लाख करोड़ पहुंचाए गए.