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किसानों को बड़ी राहत, सब्सिडी के साथ मिलेगा डीएपी यूरिया

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सरकार समय-समय पर किसानों के लिए नई योजनाएं और सुविधाएं लाती रहती है, ताकि उनकी खेती की लागत कम हो और उन्हें बेहतर मुनाफा मिल सके। इसी कड़ी में, केंद्र सरकार ने हाल ही में DAP (di-ammonium phosphate) उर्वरक और urea की नई कीमतें तय की हैं। यह कदम किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है क्योंकि खेती में उर्वरक की लागत उनकी उत्पादन लागत का एक बड़ा हिस्सा होती है। कृषि में DAP और urea दो महत्वपूर्ण उर्वरक हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण पिछले कुछ वर्षों में इनकी कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। लेकिन अब सरकार ने इन उर्वरकों पर सब्सिडी बढ़ाने और इन्हें किसानों तक आसानी से पहुँचाने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। किसानों के लिए यह खबर आशा और राहत दोनों लेकर आई है।

DAP urea की नई दर

केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि अब किसानों को पहले की तुलना में कम कीमत पर DAP उर्वरक उपलब्ध कराया जाएगा। DAP की एक बोरी की कीमत फिलहाल करीब 1350 रुपये रखी गई है, जबकि बिना सब्सिडी के एक बोरी की कीमत 4000 रुपये से भी ज्यादा हो सकती है। इसका मतलब यह है कि सरकार द्वारा किसानों को प्रति बैग 2700 रुपये तक की सब्सिडी सीधे तौर पर दी जा रही है। यूरिया का भी यही हाल है। किसानों को यूरिया 266.50 रुपये प्रति बोरी की दर से उपलब्ध कराया जाता है, जबकि वास्तविक बाजार मूल्य इससे तीन गुना अधिक है। केंद्र सरकार पूरा बोझ अपने हिस्से में उठा रही है ताकि उर्वरक की बढ़ती लागत का असर किसानों पर न पड़े।

subsidy scheme का लाभ

DAP और urea उर्वरक पर सब्सिडी देने का यह कार्य राष्ट्रीय उर्वरक सब्सिडी योजना के अंतर्गत आता है। इस योजना का उद्देश्य किसानों को उर्वरकों की ऊँची कीमतों से बचाना और खेती को लाभदायक बनाए रखना है। सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार से ऊंची दरों पर उर्वरक खरीदती है और फिर उस पर सब्सिडी देकर किसानों को बहुत कम कीमत पर उपलब्ध कराती है। यह सब्सिडी डीबीटी (प्रत्यक्ष लाभ अंतरण) प्रणाली के माध्यम से सीधे उर्वरक कंपनियों को दी जाती है। बाद में, किसान अपनी नज़दीकी सहकारी समितियों या सरकारी बिक्री केंद्रों से निर्धारित मूल्य पर DAP और urea खरीद सकते हैं। इसका लाभ यह है कि क्षेत्र विशेष के किसानों को उर्वरक एक ही दर पर उपलब्ध होता है।

किसानों को सीधा लाभ

DAP urea की कीमतें कम होने से किसानों की जैविक लागत कम होगी। ज़्यादातर किसान गेहूँ, धान, गन्ना, मक्का और दालों जैसी फसलों में DAP और urea उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं। उत्पादन लागत पर सीधा प्रभाव पड़ने से Farmer अपनी कृषि सिंचाई, दवा और श्रम लागत में संतुलन बना सकेंगे। इसके अलावा, सब्सिडी मिलने से छोटे और गरीब किसानों को विशेष राहत मिलती है। जहाँ पहले महंगी खाद के कारण वे पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं डाल पाते थे, वहीं अब कम दरों पर उपलब्ध खाद से उनकी फसलें बेहतर और हरी-भरी होंगी।

international market और सरकार की भूमिका

भारत में इस्तेमाल होने वाला ज़्यादातर DAP आयातित होता है। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे माल और DAP की कीमतों में बढ़ोतरी का असर भारत पर भी पड़ता है। लेकिन सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये की उर्वरक सब्सिडी जारी करती है ताकि किसानों पर महंगाई का असर न पड़े। आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार 2025 तक ही उर्वरक सब्सिडी पर कई लाख करोड़ रुपये खर्च करने वाली है। यह सीधा निवेश किसानों के लाभ और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है।

किसानों के लिए महत्वपूर्ण सूचना

जो Farmer DAP या urea उर्वरक खरीदना चाहते हैं, वे अपने नजदीकी प्राथमिक कृषि सहकारी समिति, पंचायत स्तरीय केंद्र या अधिकृत विक्रेता से संपर्क करें। वहाँ आधार कार्ड या Farmer पहचान पत्र दिखाकर निर्धारित दरों पर उर्वरक खरीदा जा सकता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे केवल सरकारी मान्यता प्राप्त बिक्री केंद्रों से ही उर्वरक खरीदें। इससे उन्हें सही दाम पर असली उर्वरक मिलेगा और किसी भी तरह की कालाबाज़ारी से बचा जा सकेगा।

निष्कर्ष

DAP और urea पर सब्सिडी का फैसला किसानों के लिए बड़ी राहत है। इससे उनकी खेती की लागत कम होगी और उपज बेहतर होगी। सरकार का यह कदम खेती को लाभदायक बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

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