Singrauli News: कम्प्यूटर ऑपरेटर दो हजार रिश्वत लेते हुआ ट्रैप
देवसर तहसील का मामला, सह खाते की भूमि ग्राम कटौली में बटवारा प्रकरण के आदेश कराने मांगा था घूस

सिंगरौली। देवसर तहसीलदार के कार्यालय में पदस्थ कम्प्यूटर ऑपरेटर को लोकायुक्त पुलिस की टीम ने रंगे हाथों दो हजार लेते हुये टै्रप कर लिया। ऑपरेटर प्रेमलाल सिंह प्रकरण के आदेश कराने के एवज में मांगा था 4 हजार रूपये घूस मांगा था। जहां शिकायतकर्ता कमल प्रसाद मिश्रा ने लोकायुक्त एसपी रीवा के यहां लिखित शिकायत किया था। लोकायुक्त पुलिस की इस कार्रवाई से सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया है।
लोकायुक्त पुलिस टीम के निरीक्षक संदीप सिंह भदौरिया से मिली जानकारी के अनुसार देवसर तहसील क्षेत्र के ग्राम कटौली निवासी कमल प्रसाद मिश्रा पिता स्व. ललनराम मिश्रा ने लोकायुक्त रीवा एसपी सुनील कुमार पाटीदार ने शिकायत किया था कि तहसील देवसर के तहसीलदार कार्यालय में पदस्थ कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रेमलाल सिंह के द्वारा ग्राम कटौली हल्का हर्राचन्देल के सह खाते की भूमि के बटनवारा प्रकरण आदेश करवाने के एवज में चार हजार रूपये की मांग की गई। लोकायुक्त एसपी ने शिकायत कर सत्यापन कराया और शिकायत सही मिलने पर आज लोकायुक्त में पदस्थ निरीक्षक संदीप सिंह भदौरिया के नेतृत्व में देवसर तहसील कार्यालय के लिए टीम रवाना की गई। जहां शिकायतकर्ता कमल प्रसाद मिश्रा से दो हजार रूपये रिश्वत लिया था, उसी दौरान कम्प्यूटर ऑपरेटर प्रेमलाल सिंह पिता श्यामनारायण सिंह को रंगे हाथों 2 हजार रूपये के साथ ट्रैप कर लिया गया। इस कार्रवाई में निरीक्षक उपेन्द्र दुबे के साथ अन्य अमला भी मौजूद रहा। इस कार्रवाई से रिश्वतखोर अधिकारियों में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोग बताते हैं कि कम्प्यूटर ऑपरेटर खुलेआम रिश्वत मांगता था। कई बार एसडीएम एवं तहसीलदार के यहां पीड़ित लोग शिकायत भी किये। लेकिन ऑपरेटर को हटाने के लिए जिम्मेदार अधिकारी साहस नही जुटा पा रहे हैं।
सिंगरौली के कई दफ्तरों में रिश्वतखोरी चरम पर
जिले के कई दफ्तरों में रिश्वतखोरी इन दिनों चरम पर पहुंची है। एक वीडियों सीएससी चितरंगी का सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। जहां चिकित्सक डॉ. यशवंत सिंह पर 10 हजार रूपये मेडिकल बनाने के एवज में रिश्वत लेने का आरोप लगाया जा रहा है। हालांकि नवभारत इसकी पुष्टि नही करता। वही उप पंजीयक दफ्तर कई वर्षो से चर्चाओं में है। यहां जांच एजेंसियों की नजर नही पड़ रही है। जबकि पूर्व में ईओडब्ल्यू एवं लोकायुक्त के यहां शिकायते भी की जा चुकी हैं। इधर राखड़ एवं कोयला से जुड़े मामले में भी भारी भरकम नजराना लिया जा रहा है। इसे तो राखड़ एवं कोल वाहन से जुड़े कारोबारी ही अपनी पीड़ा बता सकते हैं। इसके अलावा राजस्व के कई हल्का पटवारियों पर भी नामांतरण, बटनवारा एवं सीमांकन के नाम पर रिश्वत मांगने की शिकायत कई बार कलेक्टर के जनसुनवाई में पहुंची है।




