प्राणियों से प्यार करनेवाली संस्था पेटा इंडिया की गधे चिंता है. इस संस्था ने बिग बॉस 18, टीवी शो में गधे को प्रतियोगी या कांटेस्टेंट रखने पर आपत्ति जताई है और इसे लेकर सलमान खान और रियलिटी शो के निर्माताओं से कहा है कि वह मनोरंजन के लिए जानवरों का इस्तेमाल न करें. शूटिंग के समय लाइट और शोर से गधराज नामक गधा डिस्टर्ब हो जाएगा.
पेटा का कहना है कि इस गधे को हमें सौंप दिया जाए जिसे हम रेस्क्यू किए गए अन्य गधों के साथ सेंक्सुअरी में पनाह देंगे. मुद्दा यह कि पेटा इंडिया को सिर्फ यही गधा क्यों नजर आया ? मिट्टी के घड़े, ईंट-बजरी रेती ढोनेवाले गधे क्यों नहीं दिखाई दिए? गधा सीधा-सादा मेहनती जानवर होता है. बोलचाल में भी इससे तुलना होती रही है. पुराने शिक्षक नाराज होने पर विद्यार्थी को गधा कहीं का कह दिया करते थे. कुछ संस्थानों में मेहनती आदमी पर को लेकर गंभीर और ज्यादा काम लाद दिया जाता है. उसकी हालत बोझ उठानेवाले गधे जैसी हो जाती है. जिनकी नजरें पारखी नहीं होतीं, वह गधे और घोड़े का फर्क नहीं पहचान पाते.
यदि कोई व्यक्ति डंडे के सिरे पर मूली बांधकर गधे पर बैठ जाए तो मूली के लालच में गधा मीलों दौड़ता चला जाएगा लेकिन मूली उसके मुंह में नहीं आएगी. पाकिस्तान की इकोनॉमी गधों के भरोसे चलती है. वह हजारों की तादाद में चीन को गधे एक्सपोर्ट करता है. गधे की खाल से जिलेटिन निकालने के अलावा चीन के लोग उससे दवाइयां भी बनाते हैं. इतिहास में योद्धाओं के घोड़े प्रसिद्ध हुए हैं लेकिन गधों की कद्र नहीं की गई. वैसे ग्रामीण क्षेत्रों में किसी दुष्कर्मी को जूते-चप्पल का हार पहनाकर मुंह पर कालिख पोत, गधे पर बैठाकर जुलूस निकालने का रिवाज रहा है.