सिंगरौली । कलेक्टर साहब महीने में एक दिन खुलता है सरकारी उचित मूल्य की दुकान तो वहीं दूसरे दिन यह कहकर वापस कर दिया जाता है कि राशन खत्म हो गया है। वही सेल्समैन हर महीने एक-दो किलो राशन कम देते हैं।
इस बात की शिकायत आधा दर्जन से अधिक महिलाओं ने जनसुनवाई में पहुंचकर कलेक्टर से की है। शिकायत के बाद कलेक्टर ने अब इस मामले की खाद्य अधिकारी को जांच करने के आदेश दिए हैं। लेकिन सवाल यह है कि जब नगरीय क्षेत्र में भ्रष्टाचार का यह आलम है तो ग्रामीण अंचलों में क्या होगी। यह बखूबी समझा जा सकता है। मंगलवार की जनसुनवाई में कचनी से करीब आधा दर्जन से अधिक महिलाएं पहुंची।
महिलाओं ने कलेक्टर से शिकायत करते हुए बताया कि राशन दुकान का सेल्समेन समय में दुकान न खोलना, निर्धारित मात्रा में राशन वितरण न करना उसकी आदत में आ चुकी है। सेल्समेन महीने में बमुश्किल से एक या दो दिन दुकान खोलना है। उसके बाद ग्रामीणों को यह कहकर वापस कर देता है कि अब राशन खत्म हो गया है। अगले महीने आकर राशन ले जाना। वही एक महिला ने यहां तक कहा कि वह न केवल निर्धारित मात्रा से कम अनाज देता, बल्कि अनाज कम देने पर यदि कोई विरोध करता है तो वह धमकाने लगता है और आगे राशन नहीं देने की बात कहता है।
खाद्य अधिकारी पर संरक्षण देने का आरोप
नगरीय क्षेत्र में सरकारी राशन दुकानों की हालत देखकर यह बखूबी समझा जा सकता है कि जब जिला मुख्यालय से चंद किलोमीटर दूर सेल्समेन गरीबों के हक का निवाला छीलने में बिल्कुल भी नहीं डरते तो ग्रामीण इलाकों में क्या हालात होंगे। ग्रामीण सूत्रों की माने तो खाद्य अधिकारी प्रति दुकान सेल्समेनों से दो हजार रूपए सुविधा शुल्क लेकर गरीबों को लूटने का खुली छूट दे रखी है। यही वजह है कि सेल्समेन सभी हितग्राहियों से एक से दो किलो राशन कम देते हैं। एक सेल्समेन ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्या करूं गरीबों का हक खाना मजबूरी है। अधिकारियों और खाद्य इंस्पेक्टर को हर महीने सुविधा शुल्क देना ही पड़ता है नहीं देने पर वह हटाने की धमकी देते हैं।