कोरोना जैसी महामारी ने सारी दुनिया को दहला दिया था. जनस्वास्थ्य के अलावा राष्ट्रों की आर्थिक- सामाजिक प्रगति भी इससे प्रभावित हुई थी. इस वर्ष डेंगू, चिकनगुनिया जैसी वायरल बीमारियों ने कितने ही लोगों को अपना शिकार बनाया.
किसी के लिए यह जानलेवा साबित हुई तो कितने ही लोग चिकनगुनिया के बाद जोड़ों के असहनीय दर्द से पीड़ित हुए. उनके लिए चलना तो दूर उठना-बैठना तक कठिन हो गया. खास बात यह कि चिकनगुनिया के लिए जिम्मेदार एडीस मच्छर साफ पानी में पनपता है और एक पीड़ित व्यक्ति को काटने के बाद दूसरे को काटकर इस रोग को फैलाता है. दर्दनिवारक या स्टेराइड से मरीज को कुछ राहत मिलती है लेकिन दर्दनिवारक दवाओं के ज्यादा सेवन से किडनी को नुकसान पहुंचता है.
नीति आयोग ने कोविड महामारी के 4 वर्ष बाद अगली किसी भी महामारी से निपटने के लिए व्यापक ढांचा तैयार करने की सिफारिश की. 2023 में गठित विशेषज्ञ समूह ने कहा कि कोविड-19 को अंतिम महामारी मानकर निश्चिंत नहीं हो जाना चाहिए. बदलते मौसम चक्र, पर्यावरण प्रदूषण तथा बड़े पैमाने पर संक्रमण से फिर ऐसी नौबत आ सकती है. प्राणियों से फैलनेवाले संसर्ग पर भी ध्यान देना होगा.
विशेषज्ञ समूह ने 11 सितंबर को जारी अपनी रिपोर्ट में महामारी के लिए स्टैंडर्ड आपोटिंग प्रोसीजर (एसओपी) की सिफारिश की. इसमें निरंतर निगरानी को मजबूत बनाना शामिल है. आपातकालीन वैक्सीन बैंक बनाने को भी कहा गया जो स्वदेश या विदेश से वैक्सीन हासिल करेगा. टीकाकरण तथा लोगों को समय रहते सतर्क करने पर भी जोर दिया गया. वायरस के बदलते रूप पर शोध पर भी बल दिया गया. अंतरराष्ट्रीय मानक के मुताबिक क्लीनिकल नेटवर्क बनाने की आवश्यकता जताई गई.