Singrauli News : डीएमएफ फण्ड के राशि खर्च का मामला पहुंचा उच्च न्यायालय
हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने जारी कि या नोटिस, समाजसेवी घनश्याम पाठक ने लगाई है जनहित याचिका

सिंगरौली । जिले के डीएमएफ फण्ड के हजारों-करोड़ रूपये के दुरूपयोग किये जाने एवं जिले के लाखों लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखने के आरोप में देवसर के समाजसेवी घनश्याम पाठक ने उच्च न्यायालय जबलपुर में एक जनहित याचिका लगाई है। जहां उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पीठ ने राज्य शासन सहित सभी पक्षकारो को नोटिस जारी कर निर्धारित समय सीमा के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। अगली सुनवाई 30 जून को है।
उच्च न्यायालय जबलपुर में जनहित याचिका दायर करते हुये समाजसेवी घनश्याम पाठक ने बताया कि जिले में एक दर्जन कोयला खदाने हैं। इसके अलावा अन्य कई औद्योगिक कोल व बिजली कंपनियां हैं। जिले में गौण एवं खनिजों से डीएमएफ फण्ड के रूप में हजारों-करोड़ रूपये एकत्रित होता है। लेकिन राजनैतिक एवं प्रशासनिक हस्तक्षेप के कारण उक्त राशि का उपयोग जिले में न होकर स्टेट मिनरल फाउंडेशन के माध्यम से प्रदेश के अन्य जिलों में किया जाता है। जो सर्वथा नियम विरूद्ध गलत है। उन्होंने आगे बताया कि उक्त अनियमितता को अध्यान में रखकर माननीय उच्च न्यायालय मुख्य पीठ के समक्ष अधिवक्ता ब्रम्हमेन्द्र पाठक के माध्यम से जनहित याचिका प्रस्तुत की गई है।
जिसमें 29 अप्रैल को मुख्य न्यायाधिपति श्री सुरेश कुमार कैत एवं श्री विवके जैन की खण्ड पीठ में सुनवाई होगी। सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता के अधिवक्ता ने प्रकरण को विस्तार से प्रस्तुत कर यह तर्क रखा कि जिला खनिज प्रतिष्ठान का गठन माईंस एवं मिनरल एक्ट 1957 के अंतर्गत किया गया है। जिसमें राज्य शासन ने 2016 में म.प्र. जिला खनिज प्रष्ठिान नियम 2016 निर्मित किया। आगे बताया कि प्रारंभिक तौर उक्त नियम में व्यवस्था ठीक थी। डीएमएफ की 50 प्रतिशत राशि उसी जिले के विकास में खर्च किया जावेगा।
लेकिन राज्य शासन ने 9 नवम्बर 2020 को उक्त नियम में संसोधित कर जिले में खर्च होने वाली राशि को 50 से सीमित कर 25 कर दिया गया है। बाद में इसे पुन: 25 अगस्त 2022 को नियम में एक अन्य संसोधन कर खर्च करने के अधिकतम सीमा 50 करोड़ निर्धारित कर दिया गया। शेष राशि राज्य खनिज प्रतिष्ठान के माध्यम से प्रदेश के अन्य जिलों के लिए नियम बना दिया। जो गलत है। वही विद्वान न्यायाधिपति के द्वारा जनहित याचिका को स्वीकार कर ली गई है। अब 30 जून को उच्च न्यायालय में अगली सुनवाई होगी।