नयी दिल्ली. cotton एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, प्रमुख cotton उत्पादक क्षेत्रों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में कई किसानों ने मूंगफली और दालों जैसी अन्य फसलों की ओर रुख कर लिया है. इसके चलते कॉटन के रकबे में 14 लाख हेक्टेयर की कमी देखी गई है.
इस कमी के साथ-साथ खराब मौसम ने भी कपास पैदावार पर बुरा असर डाला है. ये भी कॉटन प्रोडक्शन में गिरावट की अहम वजह है. प्रोडक्शन में कमी का खपत से कोई सीधा संबंध नहीं है. ऐसे में देश में कॉटन की खपत स्थिर यानि 313 लाख बेल्स रहने की उम्मीद है, जो उत्पादन से ज्यादा है. इससे बाजार में सप्लाई की तंगी का माहौल बन सकता है.
एक्सपोर्ट की बात करें तो उपलब्धता में कमी के कारण इसमें 37त्न की गिरावट आने की संभावना है, जिससे कुल कॉटन एक्सपोर्ट घटकर 18 लाख बेल्स तक सीमित रह सकता है. एक्सपोर्ट में इस भारी गिरावट का असर ग्लोबल कॉटन ट्रेड पर भी पड़ेगा, जिससे घरेलू मार्केट में कीमतों पर दबाव बढ़ेगा. दूसरी ओर, आयात में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे आयात 25 लाख बेल्स तक पहुंच सकता है, जो स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए जरूरी होगा.