पहले शुरू हुई संविदा भर्ती, अब आउट सोर्स का खेल, बेरोजगारी चरम पर

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अक्टूबर। मध्य प्रदेश शायद पहला राज्य हैं जहां कुछ विभागों एवं कुछ पदों को छोड़कर नियमित भर्ती बंद है। अधिकांशतः पहले संविदा भर्ती हुआ करती थी जबसे संविदाकर्मी नियमितीकरण की मांग करने लगे तो आउटसोर्स से कर्मचारी लिये जाने लगे। कुल मिलाकर प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है और नियमित भर्तियां न होने से बेरोजगारों में व्यापक जनाक्रोश देखा जा रहा है।

मतीकरण लाखों लोगों को रोजगार देने का वादा करने वाली प्रदेश सरकार का वादा खोखला साबित हो रहा है। 20 साल पहले मध्य प्रदेश की सरकार ने संविदा भर्ती करने का अभियान शुरू किया था उस दौरान बेरोजगार युवक यह सोच कर नौकरी ज्वाइन कर रहे थे कि चलो सरकारी तो है कुछ तो मिलेगा। तब यह कहा जा रहा था कि संविदा को कुछ सालों बाद नियमित किया जाएगा। अब नई सरकार ठेकेदारी प्रणाली के तहत भर्ती का अभियान चलाते हुए युवाओं को रोजगार के सपने दिखा रहीं है।

ठेकेदार के अंडर में भी काम करने के लिए अब किसी बड़े नेता की सिफारिश चाहिए तभी 8 से 12000 की नौकरी का सपना पूरा हो पा रहा है। आने वाले दिनों में बुंदेलखंड क्षेत्र के बेरोजगारों की क्या स्थिति बनेगी, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आउट सोर्स की नियुक्ति एक ठेकेदार के माध्यम से विभाग के प्रमुख की अनुशंसा पर किसी न किसी नेता की सिफारिश पर हो रहा है। अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि दफ्तरों में पुराने कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं। और उनकी जगह पर टाइपिस्ट कंप्यूटर ऑपरेटर भी इसी तरह आउटसोर्स के नाम पर रखे गए हैं जो सालों से रुपए की तनख्वाह पर काम कर रहे हैं। जिला पंचायत जनपद पंचायत नगर पालिकाओं में संविदा श्रेणी के कर्मचारी सालों से नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। जो 20 साल पहले नौकरी शुरू किए थे अब अधेड़ होने की स्थिति में पहुंच चुके हैं।

। कृषि विभाग में हालत और दयनीय है यहां के भी संविदा कर्मचारी सालों से सरकार से मांग कर रहे हैं लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं। विद्युत वितरण कंपनी की भी स्थिति है। अभी हाल में प्राप्त ताजा जानकारी के मुताबिक प्रदेश में एक करोड़ 70 लाख उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए तीनों विद्युत वितरण कंपनियों ने आउटसोर्स के माध्यम से व्यवस्था की है। श्रम विभाग द्वारा निर्धारित विभिन्न श्रेणी के श्रमिकों को आठ हजार 800 रुपये से लेकर 12 हजार 335 रुपये प्रतिमाह वेतन व महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। आइटीआई उत्तीर्ण श्रमिक, जो लाइनमैन का काम कर रहे हैं, उन्हें कुशल श्रमिक की श्रेणी में रखा गया है इन्हें निर्धारित वेतन-भत्ते के अलावा एक हजार रुपये जोखिम भत्ता दिया जाएगा। इस राशि पर किसी प्रकार का कोई सेवा शुल्क देय नहीं होगा।

केवल मंच तक सीमित आश्वासनः युवा बेरोजगारों को किस तरह छला जा रहा है वह पूरे प्रदेश और बुंदेलखंड क्षेत्र के दफ्तरों में देखने को मिल रही है। यह स्थिति युवा बेरोजगारों को किस दिशा में ले जा रही है कोई सोचने को तैयार ही नहीं है। प्रदेश की सरकार ने जो आंकड़े अभी दिए हैं उसमें लाखों बेरोजगारौं को रोजगार दिए जाने का दावा किया जा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि यह युवा बेरोजगार ठेकेदारों के अंडर में नौकरी करने को मजबूर हैं। सरकारी जॉब की अगर बात की जाए तो जगह निकलती है, फार्म भराए जाते हैं, लेकिन परीक्षा ही नहीं हो पाती अगर परीक्षा हो गई तो रिजल्ट ही नहीं निकल पाता। ऐसे हजारों योग्य प्रतिभावान बेरोजगार अब कुंठित अवस्था में जाते दिखाई दे रहे हैं।

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