सीधी। नसबंदी में लापरवाही से महिला की मौत के मामले की जांच में सिविल सर्जन डॉ. दीपारानी इसरानी फंस गई हैं। संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश ने जिला अस्पताल सीधी की सिविल सर्जन को आरोप पत्र भेज 15 दिवस में जवाब मांगा है।
जारी आरोप पत्र क्रमांक 4/शिका./सेल.1/सीधी/आरोप पत्र/2024/1484, दिनांक 10 सितम्बर 24 में कहा गया है कि म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के नियम 14(3) के अंतर्गत आपके विरूद्ध अंकित कदाचरण के लिये विभागीय जांच संस्थित किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे में अपेक्षा की जाती है कि इस पत्र के मिलने पर 15 दिवस के भीतर आप अपना प्रतिवाद भेजते हुये बतायें कि क्या आप व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर चाहती हैं। यदि गवाह का नाम, बचाव में किन्ही अभिलेखों को प्रस्तुत करना चाहते हैं तो उनकी सूची भेजें। यदि आपके बचाव का लिखित उत्तर नियत 15 दिवस में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सीधी के माध्यम से अभिमत सहित प्राप्त नहीं होता आपके विरूद्ध एकपक्षीय कार्रवाई का निर्णय लिया जायेगा।
दरअसल सीधी जिले के धनहा, रामपुर ब्लाक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर नसबंदी शिविर का आयोजन वर्ष 2015 में किया गया था। इस शिविर में 48 महिलाओं का आपरेशन किया गया था। शिविर में आपरेशन के बाद किरण सिंह पति पुष्पराज सिंह हालत बिगड़ गई, जिन्हें रीवा रेफर किया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। उक्त मामले पर मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने अविलम्ब संज्ञान लिया और प्रकरण क्रमांक 10832 पंजीबद्ध कर जांच में लिया था। इसमें मृतका के परिवार को 3 लाख रूपये की क्षतिपूर्ति के निर्देश दिये गये थे।
जांच की आंच से जा सकता है सिविल सर्जन का प्रभार !
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश द्वारा नसबंदी में लापरवाही से महिला की मौत के मामले में आरोप पत्र भेजकर सिविल सर्जन डॉ. दीपारानी इसरानी से 15 दिवस में जवाब मांगा है। यदि जवाब संतोषजनक एवं पुख्ता नहीं हुये तो विभागीय जांच प्रस्तावित की जा सकती है। यदि विभागीय जांच शुरू होती हैं तो सिविल सर्जन की दिक्कतें बढ़ जायेंगी। जांच की आंच में आने से सिविल सर्जन का प्रभार भी उनका जा सकता है। इसी वजह से भोपाल से आये आरोप पत्र को लेकर विभाग में ही चर्चाओं का बाजार गर्म है।
डॉ. दीपारानी इसरानी पर लगा है गंभीर आरोप
जिला चिकित्सालय सीधी सिविल सर्जन डॉ दीपारानी इसरानी पर शासन के महत्वाकांक्षी नसबंदी शिविर के दौरान लापरवाही बरतने पर गंभीर आरोप है। जिसके चलते एक महिला की मौत हो गई थी। उस दौरान जांच में यह तथ्य सामने आया था कि नसबंदी आपरेशन के दौरान पदीय दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही ही बरती गई। महिला की मौत होने से यह माना गया कि डॉ इसरानी अपने। नेपदीय दायित्व का निर्वहन क करने में में अक्षम साबित हुई तथा आमजन के समक्ष विभाग की छवि को भी धूमिल करने का प्रयास किया। इसी वजह से विभागीय स्तर पर आरोप पत्र जारी होने से इसे गंभीर माना जा रहा है।
इनका कहना है
नसबंदी शिविर के दौरान 2015 में एक महिला की मौत हुई थी। इसमें किसी तरह की शिकायत नहीं हुई थी। लेकिन मानवाधिकार आयोग द्वारा इसको स्वतः संज्ञान में लेकर जांच के आदेश दिये गये थे। बाद में मानवाधिकार आयोग से भी वर्ष 2019 में यह जांच बंद हो चुकी है और मृतक महिला के परिवार को तीन लाख की क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान भी किया जा चुका है। पुराने मामले को लेकर यह आरोप पत्र फिर से साजिश के तहत जारी कराया गया है जिससे उनकी पदोन्नति रोकी जा सके।
डॉ. दीपारानी इसरानी, सिविल सर्जन, जिला अस्पताल सीधी