Singaruli News : धानी गौशाला में मवेशियों की मौत पर घिरा प्रशासन
सीएम हेल्पलाइन में धानी में बाड़ा बने होने की पीसीओ ने दी जानकारी, अपने ही बुने जाल में फंसा चितरंगी अमला

चितरंगी। जिले के चितरंगी जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत धानी में मवेशियों के मौत के बाद चितरंगी का स्थानीय प्रशासन अपने ही बुने जाल में घिरता नजर आ रहा है। क्योंकि सीएम हेल्पलाइन में धानी में बाड़ा बनने की जानकारी पीसीओ ने दी है। अब जब तीन मवेशियों की मौत निजी बाड़े में हुई तो आखिर शासकीय बाड़ा धानी में प्रशासन ने कहां बनवाया है। इसकी जानकारी देने में प्रशासन के हाथ-पाव फूलने लगे हैं।
गौरतलब हो कि सीएम हेल्पलाइन में हुई शिकायतों को लेकर अक्सर राजस्व, पुलिस सहित अन्य विभागों में झूठी जानकारी देने और शिकायतकर्ता पर दबाव बनाने के आरोप लगते रहे हैं। यहां तक कि जब शिकायत कर्ता अपनी शिकायत नही कटवाते हैं तो सरकारी तंत्र सारे हत्थकण्डे अपनाते हुये इस कदर शिकायत कर्ता को मजबूर कर देते हैं कि वह शिकायत कटवा देता है। या फिर यह सरकारी तंत्र खुद शिकायत को झूठी साबित कर या फिर अपने आप शिकायत को समाधान कर क्लोज कर देते हैं। इस तरह का खेल यह सरकारी तंत्र खेलते हुये म.प्र शासन के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सीएम हेल्पलाइन को बदनाम करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं। आखिर ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई का शिकंजा क्यों नही कसा जा रहा है। यहा बड़ा सवाल है।
बताया जा रहा है कि शिकायतें जब एल-4 स्टेज पर पहुंचती हैं। उस समय अधिकारियों को हेल्पलाइन क्लोज कराने का सबसे ज्यादा दबाव रहता है। यदि शिकायत कर्ता संतुष्ट नही होता उस समय जिम्मेदार अपने जांच प्रतिवेदन में शिकायत का समाधान बताकर क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तावित कर देते हैं। धानी में मवेशियों के मौत पर भी कुछ ऐसा ही हुआ। जहां 23 सितम्बर 2024 को शिकायत कर्ता कुलदीप पाठक निवासी धानी आवारा मवेशियों से परेशान होकर सीएम हेल्पलाइन में शिकायत किया कि आवारा मवेशियों से किसानों की फसले बर्बाद हो रही हैं। फसलों को बचाने के लिए की गई शिकायत को जिम्मेदारों ने जब समाधान नही कर पाये, शिकायत एल-4 में पहुंच गई। जहां जिम्मेदारों को शिकायत बन्द करने का दबाव अधिकारी बनाने लगे तो पीसीओ ने अपनी जांच प्रतिवेदन में यह बताकर की बाड़ा का निर्माण कर दिया गया है और सीएम हेल्पलाइन को क्लोज कर दिया गया है।
अब क्या कहेंगे जिम्मेदार
धानी में तीन मवेशियों की निजी बाड़े में मौत होने के बाद प्रशासन चाल, चरित्र और चेहरा बेनकाब हो गया है। हालांकि मवेशियों के मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में जिस बाड़े में मवेशियों की मौत हुई थी और जो बाड़ा निजी बनाकर मवेशियों को भूखे-प्यासे बन्द किये थे। उन पर प्रशासन ने त्वरित एक्शन लेते हुये चार लोगों पर एफआईआर दर्ज करा दी। यहां तक तो सही था, लेकिन जिस तरीके से सीएम हेल्पलाइन में धानी में बाड़ा बने होने की जानकारी सरकार को दी गई। वही यदि धानी में सरकारी गौ शाला बना होता तो निजी बाड़ा बनाने की नौवत न आती और आज चार लोग अपराधी न बने होते, लेकिन सरकार के नुमाईन्दों ने अपने आप को सही साबित करने के लिए झूठी व भ्रामक जानकारी देकर अपने आप को बचाकर आमजन को कटघर्रे में खड़ा कर रहे हैं। आखिर अब जिम्मेदार इसपर क्या कहेंगे।
अधिकारियों के दबाव में दी झूठी जानकारी: पीसीओ
बेजुवान जानवरों के साथ ज्यादती करना अधिकारियों के गले की फ ांस बनता जा रहा है। मवेशियों की मौत से अधिकारियों का झूठ बेनकाब हो गया है। यह झूठ ग्राम पंचायत धानी में देखने को मिला है। जहां कुलदीप पाठक की शिकायत को पीसीओ ने झूठा साबित कर दिया है। जब इस संबंध में जनपद पंचायत चितरंगी के पीसीओ पन्नालाल वर्मा से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया की कुलदीप पाठक की शिकायत सही थी। धानी में कोई काजीहाउस नही बना था। आवारा मवेशी फसलों को बर्बाद कर रहे थे, किसान परेशान थे, शिकायत सही थी, लेकिन अधिकारियों के दबाव में मैने सीएम हेल्पलाइन में झूठी जानकारी दी। शिकायत के समाधान के लिए मैने अपने जांच प्रतिवेदन में लिखा कि बाड़े का निर्माण हो गया है। अधिकारियों के दबाव में मैने प्रतिवेदन में झूठी जानकारी दी। वहां कोई बाड़ा नही बना है।